स्वामी विवेकानंद जी, भारतीय इतिहास के महानायकों में से एक हैं. उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था और मृत्यु 4 जुलाई 1902 को हुई थी. आज का दिन, स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है. स्वामी विवेकानंद जी को उनकी महानता, ज्ञान, और वैदिक तत्त्वों के प्रति उनकी प्रेम भक्ति के लिए याद किया जाता है. उन्होंने भारतीय संस्कृति और दर्शन को प्रमोट किया और भारतीय युवाओं को समर्पित और सक्रिय नागरिकता की ओर प्रेरित किया. उनके विचारों, उद्दीपकता और अद्भुत व्यक्तित्व के कारण उन्हें 'विचारधारा का राजा' कहा जाता है.

स्वामी विवेकानंद जी का जीवन प्रेरणादायक था. उन्होंने विदेशों में भारतीय दर्शन, संस्कृति और योग के बारे में बोध कराया और पश्चिमी विचारधारा को भारतीय मानोदशा से परिचित कराया. 1893 में उन्होंने शिकागो धर्म संगठन के प्रमुख नागरिकों के सामने भारतीय धर्म के प्रतिनिधि के रूप में भाषण दिया और 'धर्म सभ्यता की प्रेरणा' के रूप में अपने भाषण को प्रस्तुत किया.

स्वामी विवेकानंद जी ने विभिन्न देशों में योग, ध्यान और वेदांत के विचारों को प्रसारित किया. उन्होंने युवाओं को समर्पित और सक्रिय नागरिकता के लिए प्रेरित किया और उन्हें उनके वास्तविक पोतेंशियल की पहचान करने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने कहा था, "उठो, जागो और अपने आप को नीचे मत देखो. यही जीवन है. तुम कौन हो, तुम क्या चाहते हो, तुम्हें क्या चाहिए? यह सब जानने के लिए अपने आप से प्रश्न पूछो."

स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि पर हम उनकी स्मृति करते हैं और उनके द्वारा प्रेरित होते हैं. उनकी विचारधारा, उनके शिक्षा सिद्धांत और उनके जीवन का उदाहरण हमें सदैव प्रेरित करता रहेगा. उनकी सोच और दृष्टि ने देश को उन्नति की ओर आगे बढ़ाने का मार्ग दिखाया है और हमें अपने जीवन में उनके मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है.

स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि पर हमें यह समझना चाहिए कि हमारा जीवन उनके आदर्शों और सिद्धांतों के आधार पर कैसे चलेगा. हमें ध्यान और योग का अभ्यास करना चाहिए, जो हमें शांति, स्वस्थ मन, और समृद्धि की ओर ले जाता है. उनके उदाहरण से हमें सद्भाव, सहनशीलता, और समरसता की महत्ता समझनी चाहिए और उन्हें अपने जीवन में अंतर्निहित करने का प्रयास करना चाहिए.

स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था, "उठो, जागो, तब तक नहीं रुकोगे जब तक लक्ष्य तक पहुँच ना जाओगे." इस पुण्यतिथि पर, हमें उनके वचनों को अपनाकर अपने जीवन में बदलाव लाने का संकल्प लेना चाहिए और स्वामी विवेकानंद जी की महानता को स्मरण करके उनका सम्मान करना चाहिए. उनकी पुण्यतिथि हमें उनके संदेशों को आत्मसात करने और सत्य के प्रतीक बनने के लिए प्रेरित करती है.