सावन महीना हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह मास श्रावण के नाम से भी जाना जाता है और हिंदू पंचांग के आधार पर चार मास का हिस्सा होता है
. इस महीने में विशेष उपास्य देवता भगवान शिव होते हैं. सावन महीने का आरंभ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन होता है और चतुर्दशी तिथि तक चलता है. इस अवधि में भक्त शिव मंदिरों में जाकर जल अभिषेक करते हैं और कांचन और सुवर्ण की शिवलिंग पर हर रोज़ गंगा जल चढ़ाते है.

सावन के महीने में भक्तों की भीड़ में भगवान शिव के गुणों की गाथा होती है. ये महीना आदि योगी भगवान शिव की विशेष प्रसन्नता का समय माना जाता है. सावन के महीने में रोज़ाना शिवलिंग का जलाभिषेक करके व्रत रखने वाले भक्तों को भगवान शिव की कृपा अपार होती है. भगवान शिव के चरण स्पर्श से उन्हें शक्ति और समृद्धि प्राप्त होती है. सावन के महीने में कई त्योहार मनाए जाते हैं जिसमें हरियाली तीज़, नाग पंचमी और कावड़ यात्रा शामिल हैं. सावन महीने में भक्त शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं और ध्यान एवं भजन करके भगवान शिव की आराधना करते हैं. इस महीने में भक्तों को नहाने और स्नान करने का विशेष महत्व होता है. सावन का महीना भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक दृष्टि से संतुष्टि और शान्ति देता है. इस महीने में भक्तों का मन पवित्र होता है और वे अपने आप को भगवान शिव के आदेश और उनकी इच्छा के अनुसार समर्पित करते हैं. यह मास भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि और सम्पूर्णता लाता है.

भगवान शिव के सावन महीने को मनाने के लिए भक्तों की आस्था, भक्ति और प्रेम का बहुत महत्व होता है. यह महीना भक्ति का महीना है जब भक्त भगवान शिव के नाम परम प्रेम और समर्पण के साथ जीने का इंतजार करते हैं. सावन का महीना हिंदू धर्म में एक विशेष महीना है जो भगवान शिव की उपासना और पूजा का महीना होता है. इस महीने में भक्तों को शिव की कृपा प्राप्त होती है और उन्हें जीवन की सभी समस्याओं का समाधान मिलता है. इसलिए, सावन महीना भक्तों के लिए एक आनंदमय और प्रभावशाली महीना होता है जहां वे भगवान शिव की आराधना, पूजा और सेवा में लगे रहते हैं.