हाँ मान लिया कि आज एक बेटी के साथ गलत हुआ तो हम लाखों की संख्या में सड़कों पर आ गए, पर ये भूल रहे कि ये वही समाज है जो अगर उसी बेटी को कोई छेड़े तो कहता है कि ताली एक हाथ से नहीं बजती होगी।
हाँ जी ये वही समाज है जो उस बेटी के साथ जब गलत हो रहा होता है तो बस इसलिए चुप्पी साध लेता है कि कौन सा हमारे घर का मामला है और हम क्यों चले फालतू के मामलों में।
जी हाँ मै उसी समाज की बात कर रहा हूँ जो बेटी के किसी दोस्त पर भी शक की निगाह से देखेगा लेकिन अगर एक बेटा रेप करके भी आ जाए तो उसको बचाने के लिए खानदान और परिवार वकील ढूंढने और उसे बचाने में लग जाते हैं।
मै उसी समाज की बात कर रहा हूँ जिसमें ऐसे अपराधियों को शरण मिलती है और वो पलते हैं। एक ऐसा समाज जो अपराधी की शुरुआती गलतियों को नज़रअंदाज़ बस इसलिए कर देता है कि कौन सा उनके घर की बात है और उनके मनोबल को बढ़ावा देता है।
एक बेटी के जाने के बाद मोमबत्ती लेकर सड़कों पे आने से बेहतर है कि खुद में थोड़ी भी समाज की बेटियों के लिए कुछ करने की इच्छा है तो ऐसे अपराधियों को शुरुआत में ही मुँह तोड़ जवाब दो। जिससे उनका मनोबल वहीं टूट जाए और ऐसा कोई जघन्य अपराध किसी भी बहन या बेटी के साथ न हो।
- संस्कार श्रीवास्तव
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